दिल्ली के भाजपा सांसदों को निकम्मापन दिल्ली में हार का बड़ा कारण रहा

जिस तरह से अमित शाह (Amit Shah) हार के कारणों पर चर्चा की और कहा, अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) को आंतकवादी (terrorist) बताने, गोली मारो सा*#? को, और कुछ नेताओं की तरह- तरह-टिप्पणियां आयी कि, हनुमान मंदिर (Hanuman Mandir) जाने को लेकर केजरीवाल का मज़ाक उड़ाना वगैरह-वगैरह ये सत्य जरूर है लेकिन अर्द्धसत्य है।

अमित शाह जी इससे भी बड़ी सच्चाई जो आप बोल नहीं रहे थे या फिर कोई मर्यादा आपको इसे बोलने से रोक रही थी। मैं इसे बताता हूँ। दिल्ली में हार का सबसे बड़ा कारण है। आपकी पार्टी की ओर से दिल्ली में भेजे गये 170 पार्षद, इनमें से ज़्यादातर निकम्मे किस्म के लोग है। जो कोई काम नहीं करते भष्ट्राचार में लिप्त रहते है।

दिल्ली के भाजपा सांसदों (Delhi BJP MP) को निकम्मापन दिल्ली में हार का बड़ा कारण रहा। 15 दिन में 5000 नुक्कड़ सभायें करवा दी जाती है। ऐसे में इन लोगों का क्या कर्तव्य नहीं बनता, एक साल में 5000 नुक्कड़ सभायें आयोजित करवा दे। लोगों से मिलते तो कुछ प्रतिबद्धतायें बनती।

मोदी जी पर पार्टी की निर्भरता कब तक कायम रहेगी? इन लोगों ने कुछ किया नहीं इसीलिए पार्टी को चुनावी मैदान में बेफिजूल के नैरेटिव की ओर जाना पड़ा। केजरीवाल ने कुछ बड़ा काम नहीं किया। लेकिन भाजपा के पार्षदों और सांसदों ने उससे भी बुरा काम किया।

आज दिल्ली के अन्दर आयुष्मान योजना लागू नहीं है। लेकिन भाजपाई पार्षदों और सांसदों ने कितनी नुक्कड़ सभायें की और लोगों को इसके बारे में बताया, एक भी नहीं। केन्द्र सरकार की कई बड़े योजनायें दिल्ली सरकार ने लागू नहीं होने दी, लेकिन ये मुद्दा भाजपा के सांसदों और पार्षदों ने कहीं नहीं उठाया। केन्द्र सरकार की दूसरी सफल योजनाओं की जानकारी भी लोगों ने नहीं पहुँचायी।

इन पार्षदों और सांसदों की क्लास लगायी जाये और हर महीने इनसे प्रेजेन्टेशन ली जाये। जिसमें ये लोग बताये जनता से क्या वायदे किये है। कितने वादे पूरे हो चुके है और अगले संभावित वायदे क्या हो सकते है। वरना दिल्ली में 2023 में होने वाले निगम चुनावों में भाजपा इसी तरह बह जायेगी।

जिस तरह से आम आदमी पार्टी वालों ने चुनाव आयोग पर निशाना साधा और मत प्रतिशत के आंकड़े को लेकर बवाल मचाया, उपमुख्यमंत्री राज्यसभा सांसद ने इस मुद्दे की हवा बना दी थी, आप लोग अब तो अपनी गलती मान लीजिए। एक बार राष्ट्र से तो माफी मांग लीजिए हमसे गलती हो गयी। चुनाव आयोग इतनी बड़ा संवैधानिक संस्था है, अन्तर्राष्ट्रीय मंचों पर उसकी साख है, गलतबयानी करके उसकी विश्वसनीयता को मिट्टी में मिला दिया गया।

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