Delhi Election Updates 2020: सियासी रंगों में सराबोर रहा दिल्ली चुनावों का नतीज़ा

नई दिल्लीः- सड़क से लेकर सोशल मीडिया (social media) तक दिल्ली चुनावों (Delhi elections) की गूंज देखने को मिल रही है। सभी तरफ इसके अलग-अलग रंग देखने को मिले। जितने लोग उतने नज़रिय़े (perspective) और ख्यालात। कुछ दिलचस्प (Interesting) तो कुछ आलोचनात्मक (Critical)। चुनाव के शुरूआती दौर से ही इसकी झलक (Glimpse) देखने को मिल गयी किसी को आंतकी (Terrorist) कहा गया, तो किसी को देशद्रोही। इस बीच दिल्ली चुनावों में हनुमान जी ने भी एन्ट्री मारी। सियासत के मैदान में हनुमान चालीसा की चौपाइयों पहली बार सुनी गयी। इसकी मुद्दे को लेकर आप नेता सौरभ भारद्वाज (Saurabh Bhardwaj) ने लगातार कई ट्विट किये।

बुरी तरह ट्रोल हुए मनोज तिवारी रूझानों (Trends) के साथ ही दिल्ली भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी (Delhi BJP President Manoj Tiwari) ट्विटर पर बुरी तरह ट्रोल होते दिखे- मनोज तिवारी ने ट्विटर पर लिखा कि-  सभी एग्जिट पोल होंगे फेल। मेरा ये ट्वीट संभाल के रखिएगा। भाजपा (BJP) दिल्ली में 48 सीट ले कर सरकार बनाएगी। कृपया EVM को दोष देने का अभी से बहाना ना ढूंढ़े..

https://twitter.com/ManojTiwariMP/status/1226144841761001472

मनोज तिवारी के इस ट्विट पर एक यूजर्स ने करारा व्यंग्य (Sarcasm) कसते हुए लिखा कि, सीएम की शपथ के लिए जो नये कपड़े सिलवाए थे, उन्हें हाफ़ रेट (Half rate) पर बेचते देखे गए मनोज तिवारी

https://twitter.com/DkTarif/status/1227112518365204480

जीत के सूत्रधार बने कई चेहरे

आम आदमी पार्टी ने इन चुनावों में जिन-जिन लोगों को जिम्मेदारियां (Electoral responsibilities) सौंपी थी, उन लोगों ने अपनी जिम्मेदारियां बखूबी निभायी। अमानतुल्ला खान ने बड़े पैमाने पर मुस्लिम वोटों को आप के पक्ष में लाने के लिए मोबालाइजेशन (Mobilization) का जो काम किया, वो कामयाब रहा। भगवंत मान ने सिख वोटों में सेंधमारी करने का काम किया। दिल्ली के सिख बहुल इलाकों (Sikh dominated areas) में उन्होनें धुँआधार प्रचार किया साथ ही अमित शाह (Amit Shah) और पीएम मोदी (PM Modi) पर तीखे और चुटीले हमले करके केजरीवाल के लिए बेहतरीन माहौल तैयार किया। राज्यसभा सांसद और आप के प्रवक्ता संजय सिंह (Sanjay Singh) ने पूर्वांचल वोट बैंक को लुभाने के साथ ही मीडिया के सामने आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) पर होने वाले ज़ुबानी हमलों का पलटवार करने की जिम्मेदारी संभाली। साथ ही सधी हुई बोलचाल की भाषा में उस वर्ग तक पहुँच बनायी, जो सियासी मसलों को कम समझते थे। पंकज गुप्ता (Pankaj Gupta) ने पार्टी के लिए फंड इकट्ठा करने की जिम्मेदारी संभाली। पंकज का नाता केजरीवाल से 20 से भी ज़्यादा पुराना रहा है। साथ पंकज आप के राष्ट्रीय सचिव भी है। गोरखपुर के रहने वाले दुर्गेश पाठक (Durgesh Pathak) ने संगठन से लेकर बूथ लेवल (Booth level) तक पार्टी को मजबूती देने का काम किया। प्रचार-प्रसार की कमान प्रशांत किशोर (Prashant Kishore) ने संभाली। प्रशांत की व्यूह रचना ने केजरीवाल के लिए अभेद्य किला तैयार किया, जिसे अमित शाह के लिए भेद पाना मुश्किल हो गया।

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