गांधी-गोडसे साथ-साथ नहीं, प्रशान्त किशोर ने बदले सुर लिया यू-टर्न

नई दिल्ली (ब्यूरो) राजनीतिक रणनीतिकार (Political strategist) प्रशान्त किशोर (Prashant Kishore) का मोहभंग जनता दल यूनाइटेड (Janta Dal United) और नीतीश कुमार (Nitish Kumar) से हो चुका है। जेडीयू से बाहर जाने के बाद कल उन्होनें प्रेसवार्ता (Press conference) कर बहुत से संकेत दिये और बहुत सी आंशकायें भी खड़ी की। जो सुर उन्होनें प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान अख़्तियार किये उसकी टाइमिंग (Timing) को लेकर कई तरह के कयास लगाये जा रहे है। हाल ही में प्रशान्त दिल्ली में आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) की जीत के सारथी बने थे।

प्रशान्त किशोर ने इस दौरान कहा कि- मैं नीतीश कुमार का बहुत सम्मान करता हूँ। जेडीयू में रहने के दौरान उन्होनें मुझे बेटे की तरह रखा। नीतीश जी, जेपी लोहिया (Lohia) और गांधी (Gandhi) को अपना आदर्श (Ideal) मानते है लेकिन गठबंधन (coalition) में भाजपा के साथ है। ऐसे में गांधी और गोड़से साथ-साथ नहीं चल सकते। उन्हें अपना पक्ष और विचार स्पष्ट करने चाहिए। बिहार एक सशक्त नेतृत्व (Strong leadership) चाहता है, कोई पिछलग्गू नहीं।

आगे की योजना के बारे में प्रशान्त कहते है कि- मैं बिहार के नौज़वानों से जोड़कर बिहार की बात कार्यक्रम शुरू करने जा रहा हूँ। इसकी शुरूआत आने वाली 20 तारीख से होगी। हम 8 हज़ार गांवों तक पहुँचना चाहते है। बिहार की बागडोर (Reins) में उन हाथों में देखना चाहता हूँ, जिनके पास विज़न (vision) हो।

प्रशान्त किशोर के इन बयानों से कई मायने निकाले जा रहे है। सबसे पहले दिल्ली चुनावों (Delhi elections) में आम आदमी पार्टी से उनकी नज़दीकियां और आने वाला बिहार विधानसभा चुनावों (Bihar Assembly Elections) से ठीक पहले उनका ये कदम। कयास ये भी है आम आदमी पार्टी के टिकट पर वो जेडीयू भाजपा आरजेडी लोजपा के लिए चुनौती बन सकते है। इससे पहले उन्हें गांधी और गोड़से वाली विरोधीभासी (Contradictory) बातों का भान क्यों नहीं हुआ।

दूसरा कयास जिसकी संभावना बेहद कम है, कि वो किसी नई पार्टी (New party) का गठन कर सकते है। नई पार्टी का संकेत उन्होनें नहीं दिया। लेकिन दो बातों से साफ पता लगता है कि, वो बिहार में राजनीति की पिच पर सियासी पारी का आग़ाज कर सकते है। उन्होनें अपने बयान में दो बातें कहीं, जिससे कि ये साफ हो जाता है। बिहार को वो चलाएगा, जिसके पास सपना हो। और हमारी योजना है कि राज्य में 10 हजार अच्छे मुखिया जीतकर आएं। ये दोनों ही काम बिना सक्रिय राजनीति (Active politics) में रहे नहीं हो सकते।

अगर घटनाक्रमों पर गौर करे तो हाल ही में आम आदमी पार्टी ने अपने विस्तार (expansion) की बात कहीं थी। ऐसे में प्रशान्त किशोर की ये कवायद कुछ नये समीकरण (New equation) ला सकती है। कुछ पर तो कयास लगाया जा सकता है, और कुछ इस दायरे से बाहर है। सोचने वाली बात ये भी है कि, राजनीति और चुनावी रणनीति को विशुद्ध व्यवसाय (Pure business) में बदलने वाले प्रशान्त किशोर का हृदय परिवर्तन जिस तरह से हुआ है। वो आगे चलकर क्या नयी तस्वीर पेश करेगा। लेकिन प्रशान्त किशोर के इस कदम से बिहार विधानसभा चुनावों का आगाज़ हो चुका है।

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