Govt. का फैसला, लोगों की जेबों पर चल सकती है कैंची

न्यूज़ डेस्क (प्रियंवदा गोप): मौजूदा वक्त में देश Lockdown 4.0 के दौर से गुज़र रहा है। केंद्र सरकार की ओर से जारी कुछ प्रतिबंधों को छोड़कर अब राज्य सरकारें अपनी मर्जी से नियम कायदे बनाने के लिए स्वतंत्र हैं। लेकिन केंद्र सरकार की ओर से जारी मौजूदा गाइडलाइन (lockdown guideline) में स्पष्टीकरण के अभाव के कारण लोगों में खासतौर से Service Class में अनिश्चितता की स्थिति बनी हुई है। गौरतलब है कि बीते 25 मार्च को लॉकडाउन का फैसला लिया गया, 29 मार्च को गृह सचिव अजय भल्ला ने सभी संस्थानों के बंद होने के बावजूद भी कर्मचारियों को समय से बिना किसी कटौती के वेतन देने के फरमान जारी किए। केन्द्र सरकार की ओर से जारी हालिया Lockdown 4.0 के Protocol को देखते हुए लगता है कि, अब वाणिज्यिक संस्थानों और उद्योग जगत को इस नियम से छूट मिल सकती है।

Lockdown 4.0 के जारी हुए नियमों में सुनिश्चित किया गया है कि, आदेश के Annexure के जिस किसी भी हिस्से में कोई दूसरे प्रावधान ना लगते हो। वहां नेशनल एग्जीक्यूटिव कमिटी (National Executive Committee) द्वारा 18 मई को जारी डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट-2005 की धारा 10(2)(1) के तहत निर्देशित आदेश प्रभावी नहीं माने जाएंगे। साधारण शब्दों में कहें तो Lockdown 4.0 के लिए जारी नियमों में ज़्यादातर लोगों के आवागमन और अंतर राज्य यातायात से जुड़े नियमों का उल्लेख है। इस lockdown guideline में 29 मार्च को जारी उस आदेश का उल्लेख नहीं किया गया है। जिसमें एंपलॉयर को वेतन देने की बाध्यता का जिक्र था।

मामले पर सुप्रीम कोर्ट नियोक्ताओं के पक्ष में खड़ा दिख रहा है। सर्वोच्च न्यायालय ने नरमी दिखाते हुए कहा- एक सप्ताह तक उन सभी औद्योगिक संस्थानों और वाणिज्यिक इकाइयों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई ना करने की बात कही। जो अपने कर्मचारियों को पूरा वेतन देने में नाकाम रहे। केंद्र सरकार को मामले पर त्वरित संज्ञान लेते हुए स्पष्टीकरण जारी करना चाहिए। वरना लोगों के बीच अफ़वाहें पनपने के हालात बनेंगे।

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