Migrant Laborers देशभर में कर रहे हैं विरोध प्रदर्शन

नई दिल्ली (निकुंजा राव): देशभर में काम कर रहे हैं प्रवासी मज़दूरों (Migrant Workers) के सब्र का बांध टूटता नज़र आ रहा है। तनख्वाह ना मिलने और घर वापसी को लेकर मज़दूरों में भारी आक्रोश है। जिसकी वजह से देश के कई हिस्सों में प्रवासी मज़दूर धरना प्रदर्शन और चक्का जाम करते नज़र आए। कर्नाटक, गुजरात, आगरा, हापुड़, पंजाब, महाराष्ट्र, तेलंगाना या यूं कहें कि तकरीबन हर जगह स्थानीय प्रशासन को दोहरे मोर्चे पर जूझते देखा गया। इंफेक्शन की रोकथाम और बचाव के साथ-साथ पुलिस प्रशासन को प्रवासी मज़दूरों को काबू करने में खासी मशक्कत का सामना करना पड़ रहा है।

कर्नाटक सरकार ने मज़दूरों को रोकने के लिए भरसक प्रयास किए ताकि लॉकडाउन (Lockdown) खुलने के बाद औद्योगिक गतिविधियां और उत्पादन पहले की तरह ही कायम किया जा सके। सोशल मीडिया पर एक पोस्ट वायरल होने के चलते मैंगलुरु स्टेशन के बाहर श्रमिकों का जमावड़ा लग गया। सोशल मीडिया की उस पोस्ट में दावा किया गया था कि मज़दूरों को उनके गृह राज्य में भेजने के लिए निःशुल्क ट्रेन की व्यवस्था की गई है। जिसके बाद मज़दूर आसपास के स्टेशनों पर पहुंचने लगे। बेंगलुरु में ही कुछ श्रमिकों ने दावा किया कि उनके ठेकेदार ने उन्हें बंधक बना रखा है। राज्य सरकार से अपील करते हुए उन्होंने कहा कि उन्हें तुरंत ही उनके गृहनगर छोड़ने की व्यवस्था की जाए।

अहमदाबाद में उप जिलाधिकारी कार्यालय के बाहर तकरीबन 2000 मज़दूर इकट्ठा हो गये और प्रशासन से वापसी की गुहार लगाने लगे। स्थानीय प्रशासन के मुताबिक अफवाह के चलते मज़दूर यहां पहुंचे थे। पुलिस और स्थानीय प्रशासन के आला अधिकारियों ने किसी तरह मामले को संभाला। वहीं दूसरी तरफ, जम्मू कश्मीर के कठुआ स्थित कपड़ा मिल में काम करने वाले प्रवासी श्रमिकों ने भी तोड़फोड़ और प्रदर्शन किया। श्रमिकों ने कपड़ा मिल प्रबंधन पर तनख़्वाह रोकने का आरोप लगाया। घंटों हंगामा किए जाने के बाद सभी मज़दूरों ने मौके पर मौजूद आला अधिकारियों से घर वापसी की मांग की।

सबसे बदतर हालात हरियाणा और मथुरा जिले की सीमा पर देखे गए। जहां पूर्वांचल और मध्य प्रदेश के श्रमिकों ने प्रशासन से खासा मशक्कत करवाई। रेलवे लाइन और गांव के रास्ते होते हुए भारी संख्या में मज़दूर हरियाणा की सीमा कोटवन बॉर्डर और आगरा में रैपुरा जाट सीमा पर इकट्ठा हो गए। दोनों ही राज्यों का प्रशासन मज़दूरों को रात से ही रोक रहा था। मजबूरन आखिर में जिला प्रशासन को मज़दूरों की रवानगी सुनिश्चित करनी पड़ी। यमुना एक्सप्रेसवे, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, फरीदाबाद, गुडगांव और गाज़ियाबाद में दिन भर मज़दूरों के छोटे-छोटे समूहों का पलायन देखा गया। हापुड़, अमरोहा, गजरौला में भी अमूमन ऐसे ही हालात देखने को मिले।

अगर इसी तरह लॉकडाउन बढ़ता रहा तो हालात और भी बदतर हो सकते हैं। केंद्र और राज्य सरकारों को जल्द ही कारगर योजनाओं को अमलीजामा पहनाना होगा नहीं तो वायरस इन्फेक्शन से जूझ रहे देश के लिए मज़दूरों का इस तरह पलायन करना, दूसरी बड़ी चुनौती होगी।

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