International Women’s Day: कंधे नाज़ुक है, लेकिन घर का बोझ संभालती है वो

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– कैप्टन जी.एस. राठी
सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ता

एक महिला न सिर्फ बहन, मां, बेटी, पत्नी या दोस्त होती है, बल्कि उसमें ताकत होती है ढ़लने की और पोषण देने की। भले ही उसकी आवाज़ में नर्माहट हो लेकिन उसमें दृढ़ संकल्प (Determination) की भावना होती है। भले ही उसके कंधे नाज़ुक हो लेकिन फिर भी वो अपने परिवार का बोझ ढ़ोने में पूरी तरह सक्षम होती है। किसी भी महिला की ताकत और क्षमताओं (Caliber) को कम करके नहीं आंकना चाहिए। आइये इस अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर महिलाओं की हिम्मत और जूझने की काबिलियत को सलाम करे। हिंसा और भेदभाव के खिलाफ उनकी लड़ाई में उन्हें मजबूती देते हुए साथ खड़े होने की कुव्वत ज़ाहिर करे।

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