Hariyali Teej: सावन के तीसरे सोमवार को बनता अद्भुत संयोग

नई दिल्ली (उत्कल गोस्वामी): सनातन पंचांग की गणनाओं के अनुसार आज सावन माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या जिसके साथ सोमवार का दिन पड़ रहा है। इसीलिए शास्त्रों में इसे सोमवती अमावस्या (Hariyali Teej) के नाम से जाना जाता है। इसका दूसरा नाम हरियाली अमावस्या भी है। आज के दिन सुहागिन महिलायें द्वारा भगवान शिव, माता पार्वती, गणेश जी, भगवान कार्तिकेय तथा नंदी की विधिपूर्वक पूजन का विशेष महात्मय है। इस त्यौहार के साथ प्रकृति का विशेष जुड़ाव बना हुआ। इसीलिए हरियाली तीज़ के दिन आम, आंवला, पीपल, वटवृक्ष, कंदब, पारिजात, जामुन और नीम के पेड़ों का वृक्षारोपण (tree planting) का सपरिवार संकल्प ले।

अमावस्या तिथि का प्रारंभ 19 जुलाई को देर रात 12 बजकर 10 मिनट पर हो रहा है, जिसका पारायण 20 जुलाई को रात 11 बजकर 01 मिनट पर हो जायेगा। इस अवधि की समाप्ति के साथ ही श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा शुरू हो जायेगी। जिसका सम्पन्न रक्षाबंधन (Raksha Bandhan) के त्यौहार के साथ हो जायेगा। इसके साथ ही आज सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है। जिसका चौघाड़िया मूहूर्त आज रात 09 बजकर 21 मिनट से अगले दिन (21 जुलाई) प्रात: 05 बजकर 36 मिनट तक बना रहेगा।

अमावस्या के दिन पितृ देवताओं का पूजन किया जाता है। इस दिन पितरों को तुष्ट और शांत करने के लिए दान-पुण्य कर्म को अत्यन्त शुभ माना गया है। जिन जातकों की जन्म कुंडली में पितृदोष पाया जाता है, इस दिन पूजा करने से उनका पितृ दोष कम होता है, और जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं। पितृ देवताओं की कृपा प्राप्त करने के लिए घर में क्लेश का वातावरण बिल्कुल नहीं होना चाहिए। लड़ाई-झगड़े और गाली-गलौज़ से बचना चाहिए। इस दिन कड़वे वचन तो बिल्कुल नहीं बोलने चाहिए। सुहागिन महिलायें यदि हरियाली तीज़ का व्रत रख रही है तो उन्हें श्रृंगार से बचना चाहिए। सादगी से व्रत और अनुष्ठान का पालन करना चाहिए। आज के दिन पति-पत्नी को यौन संबंध (Sexual relations) बनाने से बचना चाहिए। यदि संबंधों से गर्भधारण होता है तो, उत्पन्न होने वाली संतान दोषपूर्ण होगी।

आज के दिन विशेष तौर पर पीपल के पेड़ की पूजा का महत्त्तव होता है। लेकिन गरूण पुराण (Garun purana) के अनुसार शनिवार के अतिरिक्त अन्य दिन पीपल के पेड़ का स्पर्श नहीं करना चाहिए, इसलिए आज पूजा करें लेकिन पीपल के वृक्ष का स्पर्श ना करें। इससे धन की हानि और आर्थिक ह्रास (Economic decline) होता है।

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