न्यूज़ डेस्क (नई दिल्ली): भारत के पूर्व राष्ट्रपति Pranab Mukherjee का 84 वर्ष की आयु में हुआ निधन। पिछले लंबे समय से बीमार चल रहे प्रणब मुखर्जी का इलाज़ दिल्ली कैंट (Delhi Cantt) के रिसर्च एंड रेफेरेल हॉस्पिटल में चल रहा था।
प्रणब मुखर्जी के बेटे अभिजित मुख़र्जी ने ये दुखद जानकारी देते हुए ट्वीट किया कि मुझे बहुत भारी मन के साथ ये बताना पड़ रहा है कि आर आर हॉस्पिटल के डॉक्टर के तमाम प्रयसों और सम्पूर्ण देशवासियो की दुआओं, प्रथानाओं के बावजूद मेरे पिता श्री प्रणब मुखर्जी का निधन हो गया है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी ट्वीट करते हुए पूर्व राष्ट्रपति के निधन पर शोक व्यक्त किया।
2012 में बनें ली थी प्रणब मुख़र्जी ने भारत के 13वें राष्ट्रपति पद की शपथ
भारत रत्न श्री प्रणब मुखर्जी ने जुलाई 2012 में भारत के 13वें राष्ट्रपति पद की शपथ ली थी जिसके बाद वह 25 जुलाई 2017 तक इस पद पर बने रहे। श्री मुखर्जी को 26 जनवरी 2019 में भारत रत्न (Bharat Ratna) के सम्मान से सम्मानित किया गया।
पूर्व राष्ट्रपति ने कलकत्ता विश्वविद्यालय (Calcutta University) से इतिहास (History) और राजनीति विज्ञान (Political Science) में Graduation के साथ साथ कानून की डिग्री हासिल की थी। प्रणब मुखर्जी एक वकील (Lawyer) और college professor भी रह चुके है। प्रणब मुखर्जी ने अपना सफ़र पहले एक कॉलेज प्राध्यापक के रूप में और बाद में एक जर्नलिस्ट के रूप में शुरू किया। 11 दिसम्बर 1935, को पश्चिम बंगाल (West Bengal) के वीरभूम जिले में जन्में प्रणब मुखर्जी के पिता 1920 से ही कांग्रेस पार्टी (congress party) में सक्रिय थे। मुखर्जी के पिता एक सम्मानित स्वतन्त्रता सेनानी भी थे जिन्होंने ब्रिटिश शासन की खिलाफ 10 वर्षो से अधिक जेल की सजा भी काटी थी।
1969 में पहली बार राज्यसभा पहुंचे थे श्री प्रणब मुखर्जी
Indian National Congress के वरिष्ठ नेता रहे मुखर्जी का संसदीय करियर करीब पचास वर्ष पुराना है जब वह पहली बार 1969 में राज्यसभा पहुंचे थे। तत्कालीन प्रधानमंत्री, इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) ने इनकी योग्यता से प्रभावित होकर मात्र 35 वर्ष की अवस्था में, 1969 में कांग्रेस पार्टी (congress party) की ओर से राज्यसभा (Rajyasabha) का सदस्य बना दिया था। उसके बाद मुखर्जी, 1975, 1981, 1993 और 1999 में राज्यसभा के लिए फिर से निर्वाचित हुए. प्रणब मुखर्जी अपनी योग्यता के चलते सन् 1982 से 1984 तक कई cabinet पदों के लिए चुने गए और और सन् 1984 में भारत के वित्त मंत्री बने।