Durga Puja 2020: पहले दिन यूं करे माँ शैलपुत्री की आराधना

नई दिल्ली (यर्थाथ गोस्वामी): दुर्गा पूजा (Durga Puja) के अन्तर्गत नवरात्रों के पहले दिन माँ शैलपुत्री की आराधना का शास्त्रोक्त विधान है। हिमालय सुता होने के कारण इनका नाम शैलपुत्री पड़ा। नवदुर्गा (Navdurga) में इनका प्रथम स्थान आता है। पार्वती हेमवती और सती इनके अन्य नाम है। माँ शैलपुत्री का रूप अत्यंत शांत और सौम्य है। वृषभ सवारी करते हुए माँ भक्तों पर करूणामयी ऊर्जा (Compassionate Energy) का संचार करती है। माँ दाहिने हाथ में त्रिशूल धारण किये हुए है ये भक्तों को अभयदान देते हुए पापियों का विनाश करता है। बाएं हाथ में सुशोभित कमल का पुष्प ज्ञान और शांति का प्रतीक है।

माँ दुर्गा के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री की पूजा विधि

चौकी स्थापित कर उस पर लाल वस्त्र बिछाये। माँ की तस्वीर स्थापित करते हुए केसर से शं लिखे। माँ की आराधना का संकल्प और आवाह्न करते हुए हाथों लाल पुष्प लेकर माँ का ध्यान करते हुए ‘ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाय विच्चे ओम् शैलपुत्री देव्यै नम:।’ मंत्र का जाप करे। इसके बाद माँ को श्रृंगार का सामान, चुनरी और भोग अर्पित करे। इसके बाद‘ऊँ शं शैलपुत्री देव्यै: नम:। मंत्र का जाप 108 बार करे। जातक मानसिक और शारीरिक निरोगता के लिए माँ को गाय की घी अर्पित कर सकते है। माँ के आशीर्वाद से दैहिक-मानस-भौतिक दुख और व्याधियां समूल नष्ट होती है। माँ को सफेद रंग अतिप्रिय है। इसलिए भोग में खीर, बर्फी आदि भोग लगाया जा सकता है।

स्रोत पाठ

प्रथम दुर्गा त्वंहि भवसागर: तारणीम्।
धन ऐश्वर्य दायिनी शैलपुत्री प्रणमाभ्यम्॥
त्रिलोजननी त्वंहि परमानंद प्रदीयमान्।
सौभाग्यरोग्य दायनी शैलपुत्री प्रणमाभ्यहम्॥
चराचरेश्वरी त्वंहि महामोह: विनाशिन।
मुक्ति भुक्ति दायनीं शैलपुत्री प्रमनाम्यहम्॥

माँ का ध्यान करने के लिए जाप मंत्र

वन्दे वांछितलाभाय, चंद्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारूढां शूलधरां, शैलपुत्रीं यशस्विनीम् ॥
पूणेन्दु निभां गौरी मूलाधार स्थितां प्रथम दुर्गा त्रिनेत्राम्॥
पटाम्बर परिधानां रत्नाकिरीटा नामालंकार भूषिता ॥

प्रफुल्ल वंदना पल्लवाधरां कातंकपोलां तुंग कुचाम् ।
कमनीयां लावण्यां स्नेमुखी क्षीणमध्यां नितम्बनीम् ॥

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