CWC Meeting: सामने आयी खत की Inside Story, नौ कांग्रेसी नेताओं ने अलग से की मीटिंग, उठायी ये मांग

न्यूज़ डेस्क (दिगान्त बरूआ): बीते सोमवार को हुई कांग्रेस कार्यसमिति की वर्चुअल बैठक (CWC Meeting) की अंदरूनी कहानी अब छन-छनकर मीडिया के सामने आनी शुरू हो गयी है। इस नाटकीय बैठक की स्क्रिप्ट तकरीबन पाँच महीने पर लिख दी गयी थी। जिसके बाद INC में फैली भीतरी कलह दुनिया के सामने आ गयी। बीते मार्च महीने के दौरान शशि थरूर के आवास पर एक डिनर पार्टी (Dinner party at Shashi Tharoor’s residence) रखी गयी थी। जिसमें कई कांग्रेसी दिग्गज़ों ने शिरकत की थी। पार्टी नेतृत्व में बदलाव और जरूरी बदलावों को लेकर आलाकमान को चिट्ठी लिखने की आपसी अनौपचारिक सहमति (Informal consent) इसी दौरान तय की गयी थी।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस कार्यक्रम में पी.चिदंबरम, कार्ति चिदंबरम, सचिन पायलट, अभिषेक मनु सिंघवी और मणिशंकर अय्यर शामिल हुए थे। लेकिन इन लोगों ने चिट्ठी पर हस्ताक्षर नहीं किये। फिलहाल कई दूसरे कांग्रेसी नेता इस पार्टी में औपचारिक तौर पर शामिल होने को लेकर बयान देने से बचते फिर रहे है। अभिषेक मनु सिंघवी भी इस पार्टी का हिस्सा थे। लेकिन उन्होनें ऐसी किसी चिट्ठी के बारे में जानकारी ना होने की बात कही।

दूसरी ओर मणिशंकर अय्यर ने भी ऐसी जानकारी ना होने के बात कहीं। हालांकि उन्होनें ये बात जरूर मानी कि, डिनर पार्टी के दौरान अनौपचारिक वार्ताओं का दौर छिड़ा (Informal talks broke out during the party) था। जिसमें कांग्रेस की भीतर जरूरी बदलावों पर आम चर्चा की गयी थी। ऑफ रिकॉर्ड बातचीत के दौरान (During off-record conversation) एक कांग्रेसी सांसद ने बताया कि, शशि थरूर ने पार्टी के दौरान INC के नेतृत्व और कार्यशैली में जरूरी बदलावों की पैरोकारी (Advocated important changes in the leadership and working Style of INC) की थी। साथ ही उन्होनें खत पर हस्ताक्षर भी किये। उन्हें कांग्रेस के भीतर तुरन्त जरूरी बदलावों की दरकार नज़र आती है।

कांग्रेस कार्य समिति की बैठक के दौरान गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा, मुकुल वासनिक और जितिन प्रसाद की कांग्रेस की प्रति वफादारी को लेकर कई सवाल उठे। जिसके बाद तकरीबन नौ कांग्रेसी नेताओं ने आपसी समझ कायम करने के लिए गुलाम नबी आजाद के घर पर इकट्ठा हो बैठक (Meeting at Ghulam Nabi Azad’s house) की। इस बैठक के बाद आनंद शर्मा ने मीडिया को बताया कि- कथित खत में कार्य समिति के ज़्यादातर सदस्यों के हस्ताक्षर नदारद (Signature of most of the members of Working Committee missing) है। खत में बहुत सी खामियां है। जिसकी वज़ह से इसके गलत अर्थ निकाले गये। इन्हीं कारणों से कुछ खास कांग्रेसी नेताओं को गलत बयानबाज़ियों का सामना करना पड़ा। फिलहाल हम लोग ये मांग करते है कि, इस खत को सार्वजनिक किया जाये ताकि आपसी गलतफहमियों को दूर किया जा सके। साथ ही इससे जनता के बीच गलत संदेश जाने से बचेगा। इस कवायद से वस्तुस्थिति स्पष्ट हो जायेगी।

आनंद शर्मा ने कांग्रेस कार्य समिति की बैठक के बारे में बताते हुए कहा- बैठक के दौरान करीब-करीब सभी लोगों ने निष्पक्ष और स्वतन्त्र रूप से अपनी बातें रखी। सोनिया गांधी काफी बेहतर ढंग नतीज़े पर पहुँची और उन्होनें आपसी मतभेद दूर करने का फरमान सुनाया। लेकिन खत की कुछ बातें सार्वजनिक होने से वे आहत थी। उन्होनें पिछली बातों को भुलाकर, सभी को एक साथ काम करने के लिए कहा।

गौरतलब है कि जिन लोगों ने कथित लेटर बम पर साइन किये थे। उन्होनें साफ कर दिया है कि, वे सभी सोनिया या राहुल गांधी की कार्यशैली और नेतृत्व के खिलाफ नहीं है। साथ ही पाँच पन्नों के इस खत में दोनों में से किसी भी नेता की मुखालफत नहीं की गयी है।

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