नई दिल्ली (गौरांग यदुवंशी): वायरस के बढ़ते प्रकोप से लड़ने के लिए तकरीबन हर क्षेत्र के महारथी अपना-अपना योगदान दे रहे हैं। बॉयोटेक्नोलॉजिस्ट, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एक्सपर्ट, मोबाइल एप्लीकेशन डेवलपर्स और मेडिकल रिसर्चर सभी ने समस्या का हल निकालने के लिए दिन-रात एक कर रखा है। वायरस और इंसान के बीच छिड़ी इस जंग में गणित अपनी अहम भूमिका निभाएगा। इस काम की जिम्मेदारी अरनी एस.आर. श्रीनिवास राव ने संभाली है। जर्नल इनफेक्शन कंट्रोल एंड हॉस्पिटल एपिडेमियोलॉजी में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका स्थित ऑगस्टा यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर राव की अगुवाई में एक मैथमेटिकल मॉडल पर काम चल रहा है।
इस मैथमेटिकल मॉडल की मदद से बड़ी आबादी वाले इलाकों में वायरस फैलने की पैटर्न का अध्ययन किया जा सकेगा। किसी खास इलाके में वायरस का प्रकोप कितने वक्त तक रहेगा, इसकी सटीक जानकारी ये मॉडल मुहैया करवाएगा। प्रोफेसर राव के मुताबिक संदिग्ध मामलों की सही पहचान, वायरस फैलने की दर, इनफेक्टेड इलाकों में जनसांख्यिकीय आंकड़े और संक्रमण का संभावित फैलाव जैसी कॉम्पलेक्स कैलकुलेशन इससे संभव हो पाएगी।
इस मैथेमेटिकल मॉडल से वायरस इनफेक्शन का एनालिसिस करने के लिए, वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन द्वारा जारी आंकड़ों का इस्तेमाल किया जा रहा है। मॉडल के तहत इंफेक्शन का विश्लेषण करने के लिए आबादी को तीन आयु वर्गों में बांटा गया है, 0-14, 15-64, 64- से अधिक।
फिलहाल इस गणितीय मॉडल से जो आंकड़े निकल कर सामने आ रहे हैं, वो काफी सटीक है। हासिल हुई जानकारी से बढ़ते इन्फेक्शन को समझने में काफी मदद मिलेगी। तेजी से फैल रहे वायरस के पैटर्न को समझकर काफी हद तक कोरोना पर लगाम कसी जा सकेगी।