Collodion baby: Doctors के लिए Plastic वाला बच्चा बना पहेली

नई दिल्ली (विश्वरूप प्रियदर्शी): अमृतसर (Amritsar) में जन्मा नवजात बच्चा गुरूसेवक गुरुनानक देव अस्पताल (Gurunanak Dev Hospital) के Doctors के लिए पहेली बना हुआ है। बच्चे चमड़ी एकदम Plastic, मच्छली और सांप की तरह परतदार है। बच्चा जब रोता है तो उसकी चमड़ी उसका शरीर छोड़ने लगती है। नवजात के मुंह और होंठ किसी मच्छली की तरह लगते है। वॉर्ड के लोग बच्चे को ‘प्लास्टिक बेबी’ (Plastic baby) कहकर पुकार रहे है। बच्चा अस्पताल में कार्यरत मेडिकल इन्टर्नस (Medical interns) के लिए किसी पहेली और रहस्य से काम नहीं है। गुरुनानक देव अस्पताल के पीडियाट्रिक और नियोनेटल विभाग के विशेषज्ञ संदीप अग्रवाल (Sandeep Aggarwal, Specialist in Pediatric and Neonatal Department) की अगुवाई वाली टीम बच्चे का खास इलाज कर रही है। साथ ही डर्मेटोलॉजी विभाग (Department of Dermatology) की भी मदद ली जा रही है।

चिकित्सा विज्ञान के जानकारों के मुताबिक बच्चा एक खास किस्म के अनुवांशिक विकार से जूझ रहा है। जिसे मेडिकल की भाषा में ‘कोलोडियन बेबी’ (Collodion baby) कहा जाता है। प्राथमिक उपचार के तौर पर डॉक्टर्स ने बच्चे पर खास किस्म के लेपों का इस्तेमाल किया है। बच्चा एक महीने पहले पैदा हुआ था। बच्चे के माँ-बाप (गगनदीप सिंह और बलजीत कौर) इसे लेकर खासा परेशान है। बच्चे की आंखों पर भी परत से चढ़ी हुई है। पैदा होने के तकरीबन 15 दिन बाद उसका चमड़ा रोने के कारण उतरने लगा। बच्चे के पिता गगनदीप सिंह की आर्थिक स्थिति बेहद सामान्य है। ऐसे में वो बड़े अस्पतालों में मंहगा इलाज़ कराने की हालत में नहीं है। वो डिलीवरी ब्वॉय (Delivery boy) की नौकरी करते हैं। गुरूसेवक दम्पति का पहला बच्चा है।

फिलहाल बच्चे के अंदरूनी अंग ठीकठाक काम कर रहे है। बच्चा नियमित अन्तराल पर सामान्य तरीके से दूध पी रहा है। फिलहाल जच्चा-बच्चा दोनों को घर पर ले आया गया है। पीडियाट्रिक और नियोनेटेल विशेषज्ञ संदीप अग्रवाल के मुताबिक- 10 लाख प्रसवों में एक ऐसा बच्चा पैदा होने की संभावना बनी रहती है। माता-पिता के क्रोमोसोम्स में इंफेक्शन (Infection in chromosomes) की वज़ह से बच्चों में इस तरह के विकार हो जाते है। ये एक तरह का अनुवांशिक गड़बड़ (Genetic mess) है। बच्चे की आंखों और होठों का रंग मच्छली की तरह एकदम सुर्ख लाल है।

रोने के अलावा तीन से चार हफ़्ते के अन्तराल पर बच्चे के शरीर के चमड़ी अपने आप सांप के केंचुली (Snakeskin) की तरह अपने आप उतर जाती है। इलाज कर रहे है डॉक्टर्स के मुताबिक चमड़ी का इंफेक्शन (Skin infection) ठीक होते ही बच्चे के नॉर्मल होने की उम्मीदें बढ़ जायेगी।

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