Cabinet decisions: अब देश में कोयले का खनन करेगी देशी-विदेशी कंपनियां

पीएम मोदी की अगुवाई में केन्द्र सरकार ने आज दो बड़े फैसले लिये गये है। केन्द्र सरकार ने माइनिंग से जुड़े कानूनों में बदलाव के लिए ऑर्डिनेंस को हरी झंडी दे दी है। जिसके बाद से राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय कंपनियां अब कोयले की खदानें हासिल करने के लिए Bid दाखिल कर सकेगें। 


आज हुई कैबिनेट की प्रेस ब्रीफिंग में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने एक बैठक के दौरान माइन्स एंड मिनरल्स (डेवलपमेंट एंड रेगुलेशन) एक्ट 1957, कोल माइन्स (स्पेशल प्रोविज़न) एक्ट 2015 में बदलाव करते हुए । मिनरल्स लॉ (एमेंनडमेंट) ऑर्डिनेंस 2020 को मंजूरी दे दी गयी है। गौरतलब है कि केन्द्र सरकार ने पिछले साल के वित्त वर्ष में ही कोल, माइनिंग और उनकी प्रोसेसिंग के लिए सौ फीसदी फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट की मंजूरी दी थी। 

कैबिनेट प्रेस ब्रीफिंग के बाद मीडिया से बातचीत के दौरान कैबिनेट मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा- इस अध्यादेश के प्रावधानों के अनुसार कोयले की खदानें हासिल करने के लिए कंपनियों के लिए ये शर्त हटा दी गयी है कि, उनका भारत में पहले से ही कोयले का कारोबार हो। इस अध्यादेश के लागू होने के बाद से कोयला खदान हासिल करने की दौड़ में अब से राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय कंपनियां बराबर की भागीदार होगी। दोनों ही बोली लगाने की पात्रता रखेगी। इसके साथ ही कोयले की इस्तेमाल से जुड़ी बाध्यतायें भी समाप्त कर दी गयी है। 

इस कवायद का खासा असर उन खदानों की नीलामी पर पड़ेगा, जिनके अलॉटमेन्ट की अवधि 31 मार्च को खत्म होने जा रही है। ऐसे खदानें अधिकांश ओडिशा और कर्नाटक में है। इन खदानों की नीलामी माइन्स एंड मिनरल्स (डेवलपमेंट एंड रेगुलेशन) एक्ट 2015 के तहत की गयी है। 

पेश किये गये अध्यादेश में केन्द्र सरकार ने ये भी नियम जोड़े गये है। जिससे इसे खदानों को एन्वायरमेन्टल क्लीयरेन्स और वन मंजरी लेने जरूरी नहीं होगा। आंबटन के साथ ही ये क्लीयरेन्स खदान पाने वाले को अपने आप मिल जायेगी। प्रह्लाद जोशी के मुताबिक इससे पहले जिन कंपनियों को कोयले की खानें नीलामी में हासिल होती थी, उसके लिए तकरीबन 20 तरह की क्लीयरेंस लेना जरूरी होता था। जिसमें आमतौर पर दो साल का समय लग जाता था। इसके बाद ही कोयले की खदान में काम शुरू हो पाता था।
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