इंफेक्शन के हालातों के बीच, उम्मीदों की रोशनी लाती है ये कविता- फिल्ममेकर वरदराज स्वामी

एंटरटेनमेंट डेस्क (शशांक शेखर): कोविड-19 की वैश्विक महामारी की वजह से पूरी दुनिया में लॉकडाउन के हालात बने हुए हैं। तकरीबन सौ से भी ज़्यादा मुल्कों की माली हालत लड़खड़ाई हुई है। मौजूदा दौर में हमारा देश पूरी दुनिया की रहनुमाई कर रहा है। अमीर से अमीर और गरीब से गरीब मुल्क भी आज हिंदुस्तान का हर मशवरा मानने को तैयार है।

फिलहाल हमारा मुल्क बढ़ते इन्फेक्शन के खतरे से लड़ने के लिए पूरी दुनिया को मदद मुहैया करवा रहा है। ये नज़्म हिंदुस्तान और हिंदुस्तानियों के उसी जज़्बे को सलाम करती है। हमें अपने मुल्क पर फक्र है।

पेश-ए-खिदमत है,

हाथों में लेकर विजय पताका ।

विश्व पर हम लहराएंगे ।।

विश्व विजय की चाहत नहीं ।

हम विश्व गौरव कहलाएंगे ।।

विश्व शक्ति की चाहत नहीं ।

हम विश्व गौरव कहलाएंगे ।।

जब दृढ़ संकल्प प्रधान देश का कहता है अभिमान से ।

मैं देश नहीं झुकने दूंगा ।

मिट जाऊंगा ।

पर…देश..!!!

नहीं मिटने दूंगा…!!!

इस देश का कवि जब कहता है…!!!

कविता नहीं यह ललकार है।

हर युद्ध का एकमात्र हथियार है।

अरे सपना जागी आंखों से देखो जब देश का वैज्ञानिक कहता है।

जब देश का हर एक आदमी योद्धा वीर सिपाही है…

हे महा संकट…!!!

तब तुम कैसे इस देश में रह पाओगे..?

कुछ दिन में ही थक हार कर…

भाग यहां से जाओगे..!!

तुम जैसे और न जाने इस देश में।

कितने संकट आयेंगे और कितने संकट जायेंगे।

हाथों में लेकर विजय पताका ।

विश्व पर हम लहराएंगे ।।

विश्व शक्ति की चाहत नहीं ।

हम विश्व गौरव कहलाएंगे ।।

विश्व विजय की चाहत नहीं ।

हम विश्व गुरू कहलाएंगे ।।

बेहद मामूली अल्फ़ाज़ों के साथ ये नज़्म लोगों की सोच को झकझोरने की कोशिश करती है। ये लोगों को जोशो-खरोश का मकबूल दायरा देती है। सच है कि हिंदुस्तान के वज़ीर-ए-आज़म नरेंद्र मोदी हों या कोई शायर या फिर आव़ाम, सभी सादी जिंदगी जीने की और दुनिया की बेहतरी की बात करते हैं। अपनी इसी सोच की वजह से इस मुल्क का वजूद सदियों-सदियों तक कायम रहेगा।

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