सावधान! ये वायरस लगा सकता है आपके मोबाइल में सेंध

इस स्पाईवेयर ने सियासी गलियारे में मचा रखा है हड़कंप

इस्राइली साइबर सिक्योरिटी फर्म एन.एस.ओ. की नयी ईजाद पेगासस से आजकल देशभर में हड़कंप के हालात बने हुए है। पेगासस एक का वायरस है, जिसे बतौर स्पाईवेयर की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है। इस वायरस को बनाने के लिए की गयी कोडिंग बहुत खास है। जिसे मोबाइल या सिस्टम पर ये वायरस हमला करता है यूजर को इसकी भनक तक नहीं लगती है। ना तो बैट्री पावर का ऐक्सट्रा इस्तेमाल होता है और ना ही किसी तरह के संदेहास्पद प्रोम्पट आते है।
इसकी चपेट में दुनिया भर के तकरीबन 1400 लोग आये जिनमें से ज़्यादातर जर्नलिस्ट है। इसका फैलाव 20 देशों में देखा गया। ये वायरस खबरों में तब आया जब भारत के कई मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, सियासी शख्सियतों और एक्टीविस्टों को मोबाइलों पर इसके हमले हुए, इसका इस्तेमाल करके उनकी व्हॉट्स ऐप मैसेंजर की जासूसी की गयी।

वायरस विक्टिम को क्या झेलना पड़ता है?
इस वायरस का ज़्यादातर इस्तेमाल जासूसी करने के लिए किया जाता है। इससे उनकी प्राइवेसी सीधे तौर पर भंग होती है। विक्टिम यूजर की जियो लोकेशन, फाइल, फोल्डर, मोबाइल में सुरक्षित रखी गोपनीय जानकारियों तक हैकर्स की पहुँच बन जाती है। वो इसे अपने तरीके से एक्सेस करते हुए, विक्टिम यूजर को मनचाहे ढ़ंग से नुकसान पहुँचा सकते है। पासवर्ड, कॉन्टेक्ट, कैलेंडर, मैसेज, माइक्रोफोन, कैमरा समेत दूसरी मैसेजिंग ऐप्स पर ये सीधे अपनी पकड़ बनाता है।
वायरस इंस्टॉल करने का अनोखा तरीका
पेगासस को इंस्टॉल करने के कई तरीके है। आमतौर पर हैकर्स वायरस एक्टिवेट करने के लिए फिशिंग और फेक लिंक जनरेट करके यूजर को उस क्लिक करवाने का काम करते है। लेकिन पेगासस को इस्टॉल करने के लिए व्हॉट्स ऐप पर ऑडियो कॉलिंग का सहारा लेते है। हैकर्स विक्टिम यूजर के व्हॉट्स ऐप पर ऑडियो/वीडियो कॉलिंग करके इसे इंस्टॉल करते है। जरूरी नहीं कि विक्टिम यूजर इस कॉल को रिसीव करे। सिर्फ मिस्ड कॉल करके भी पेगासस को एक्टीवेट किया जा सकता है। एक बार इंस्टॉल होने के बाद ये गूगल ड्राइव, क्लाउड स्पेस ,फेसबुक मेसेंजर और आईक्लाउड की ऑथेंटिकेशन कॉपी कर लेती है। जिसे दूसरे सर्वर पर बाउंस कर दिया जाता है।

हमारे देश में अब तक ये लोग पेगासस का शिकार हो चुके है
अब तक बेला भाटिया, पत्रकार सिद्धांत सिब्बल, दलित एक्टिविस्ट डिग्री प्रसाद चौहान, आनंद तेलतुम्बडे, शुभ्रांशु चौधरी, दिल्ली के आशीष गुप्ता, राजीव शर्मा, भीमा कोरेगांव केस में वकील निहाल सिंह राठौड़, दिल्ली यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर सरोज गिरी और जगदलपुर लीगल एड ग्रुप की शालिनी गेरा के नाम सामने आ चुके है। सूत्रों के मुताबिक इसकी चपेट में सीनियर पॉलिटिशियन प्रफुल्ल पटेल भी आये है।

आतंकवाद और अपराधियों के खिलाफ हाइटेक टेक्नॉलजी का सहारा लिया-NSO
इस बनाने वाली कंपनी ने अपनी सफाई पेश करते हुए कहा कि- ये बदलते वक़्त की मांग है। आजकल बड़े आंतकवादी संगठन और अपराधी कुछ भी योजना बनाने के लिए एनक्रिप्टेड टेक्नॉलजी का इस्तेमाल कर रहे है। इन हालातों में किसी राष्ट्र की सुरक्षा और शांति को भारी खतरा होता है। हमारे सभी प्रोडक्ट्स विधि सम्मत और कानूनी तरीके से इंटरसेप्शन का काम करते है। हम किसी भी तरह की जवाबदेही चुनौती और जाँच के लिए तैयार है।

वायरस पर गरमाया सियासी पारा
कांग्रेस ने इस मामले के लिए भाजपा को सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराया और उस पर स्नूपिंग करने का आरोप लगाया। साथ कांग्रेस ने दलील भी दी कि, 2014 के लोकसभा चुनावों को प्रभावित करने के लिए इसका इस्तेमाल किया गया। जासूसीकांड ने जब तूल पकड़ा तो सफाई देने के लिए केन्द्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद के सामने आना पड़ा। उन्होनें जनता के सामने सफाई पेश करते हुए ट्विट किया।
Government of India is concerned at the breach of privacy of citizens of India on the messaging platform Whatsapp. We have asked Whatsapp to explain the kind of breach and what it is doing to safeguard the privacy of millions of Indian citizens. 1/4 pic.twitter.com/YI9Fg1fWro

— Ravi Shankar Prasad (@rsprasad) October 31, 2019

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