9 नवंबर 2019 को जब सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या विवाद पर फैसला सुनाया तो ये मान लिया गया कि देश की सर्वोच्च अदालत ने दशकों से चले आ रहे राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर पूर्ण विराम लगा दिया है। लेकिन 6 दिसंबर को बाबरी मस्जिद गिराए जाने की बरसी के मौके पर सुप्रीम कोर्ट में एक—दो नहीं बल्कि चार पुनर्विचार याचिकाएं दायर की गईं। जानकारों का कहना है कि ये याचिकाएं केवल याचिकार्ताओं के निजी हितों के चलते दायर की गई हैं और इस मुद्दे को कुछ और दिन जिंदा रखने की कोशिश मात्र हैं। हालांकि इस बात की संभावना न के बराबर है कि इन याचिकाओं पर विचार करके सुप्रीम कोर्ट अपने फैसले में कोई बदलाव करे। ऐसे में विवादित जमीन पर राम मंदिर बनना तो लगभग तय ही है लेकिन कहा जा रहा है कि अब भाजपा सरकार के लिए इस मुद्दे पर राजनीति करने के सारे रास्ते बंद हो गए हैं।
– अमित त्यागी
स्वतन्त्र पत्रकार